CBI ने Arvind Kejriwal को शराब नीति घोटाले में मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया है।
उनके वकील का कहना है कि आरोप गलत हैं।
कोर्ट ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।
Excise policy case: Ahead of interim bail hearing, chargesheet against Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal filed in Rouse Avenue Court.@Verma__Ishika reports https://t.co/WswuPNvIYT pic.twitter.com/XNa4Ua2WZ9
— NDTV (@ndtv) July 29, 2024
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Arvind Kejriwal : केजरीवाल की गिरफ्तारी का कारण
Central Bureau of Investigation (CBI) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए उन्हें शराब नीति घोटाले का “मुख्य सूत्रधार” बताया।
CBI का कहना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं हो सकती थी।
क्योंकि उन्हें इस कथित घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
अरविंद केजरीवाल, जो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, को प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
यह मामला शराब नीति घोटाले से संबंधित है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी है, लेकिन वह जेल में हैं क्योंकि CBI ने उन्हें एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया है।
Arvind Kejriwal : जमानत पर बहस
CBI के वकील एडवोकेट डीपी सिंह ने अदालत में कहा कि चार्जशीट दायर होने का मतलब यह नहीं है कि केजरीवाल को जमानत मिलनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि AAP नेता मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के. कविता के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की गई थी।
लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी गई। ये दोनों इस मामले में सह-अभियुक्त हैं।
केजरीवाल की भूमिका
CBI का कहना है कि केजरीवाल ने अपने कैबिनेट प्रमुख के रूप में एक विशेष शराब नीति पर हस्ताक्षर किए और इसे अत्यधिक तेजी से लागू किया।
यह तब हुआ जब देश में Covid-19 महामारी के कारण लॉकडाउन था।
CBI का दावा है कि उनके पास केजरीवाल के खिलाफ पर्याप्त प्रत्यक्ष सबूत हैं और अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
केजरीवाल का पक्ष
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने केजरीवाल की ओर से कहा कि CBI की गिरफ्तारी केवल “इंश्योरेंस गिरफ्तारी” है ।
क्योंकि उन्हें दिल्ली उत्पाद शुल्क मामले में जमानत मिल चुकी थी।
उन्होंने तर्क दिया कि CBI का मामला सिर्फ अफवाहों पर आधारित है और केजरीवाल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
नीति का निर्णय
सिंघवी ने कहा कि नीति की मंजूरी में उपराज्यपाल और लगभग 50 अन्य नौकरशाह शामिल थे, जो कई विशेषज्ञ समितियों का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि केजरीवाल ने अकेले ही नीति का निर्णय लिया।
CBI का जवाब
CBI के वकील ने केजरीवाल के वकीलों के तर्क का विरोध किया कि उपराज्यपाल को भी सह-अभियुक्त बनाया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि एजेंसी के पास केजरीवाल के खिलाफ दस्तावेजी और मौखिक सबूत हैं।
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फैसले की प्रतीक्षा
अदालत ने जमानत याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
क्या अरविंद केजरीवाल IAS थे?
अरविंद केजरीवाल IAS अधिकारी नहीं थे। उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के सहायक आयुक्त के रूप में काम किया।
करियर की शुरुआत
केजरीवाल ने 1995 में सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने के बाद IRS में सहायक आयुक्त के रूप में काम करना शुरू किया।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
टाटा स्टील में कार्यकाल
1989 में, केजरीवाल ने टाटा स्टील जॉइन किया और जमशेदपुर में कार्य किया।
1992 में, उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी।
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